
एकता में बल // Nursery story// कहानी // पंचतंत्र कि कहानी
एकता में बल
एक बार की बात है जंगल में एक पेड़ था | उस पर प्रतिदिन बहुत से पक्षी आकर विश्राम करते थे | एक दिन बहेलिये ने पक्षी पकड़ने की इच्छा से वहाँ से चावल के दाने फैला दिये और उसके ऊपर जाल बिछाकर स्वयं एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया |
कुछ समय के बाद उस पेड़ पर एक कबूतरो का झुंड आकर विश्राम करने लगा | तभी उनकी नजर चावल के दानो पर पड़ी | दाने देखकर उनकी भूख जाग उठी और वे दाने चुगने के लिए नीचे उतरने लगे | तब उनके मुखिया ने उन्हे समझाया कि उसे इन दानों के पीछे कुछ गड़बड़ लग रही है | इसलिए उन्हे ये दाने नही चुगने चाहिए | पर कबूतरो ने अपने मुखिया की बात नहीं सुनी और दाने चुगने के लिए चले गए | सारे कबूतर जाल में फँस गए |उन्हे अपने मुखिया की बात न मानने तथा लालच करने की सजा मिल गई | उनके मुखिया ने उन्हे एक दिशा में उड़ने के लिए कहा | सब कबूतर जाल के साथ एक ही दिशा उड़ गए और बहेलिया देखता ही रह गया |
सब कबूतर अपने मुखिया के दोस्त चूहे के घर जा पाहूँचे |चूहे ने अपने तेज दाँतो से जाल को काट कर कबूतरो को मुक्त कर दिया | कबूतरो ने अपने प्राण बचाने वाले चूहे का बहुत बहुत धन्यवाद किया और सब कबूतर नीले गगन में फिर से उड़ गए | इस तरह हमे पता चलता है कि हमे कभी लालच नही करना चाहिए अन्यथा हम भी कबूतरो कि तरह संकट में फस सकते है |साथ ही हमे यह भी शिक्षा मिलती है कि एकता मे बल होता है |